गोवा की राजनीति में शुक्रवार का दिन बेहद गर्मागर्म बहस और बयानबाजी का गवाह बना। तिविम के विधायक और गोवा सरकार में फिशरीज मंत्री निलकंठ हलारंकर ने क्रांतिकारी गोवन पार्टी (Revolutionary Goans Party – RGP) को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह पार्टी लोगों को भड़काने और गुमराह करने का काम करती रही, तो इसका परिणाम उन्हें भुगतना पड़ेगा।
पिछले कुछ सालों में गोवा की राजनीति में RGP ने तेजी से अपनी पहचान बनाई है। इस पार्टी ने खुद को “स्थानीय गोवावासियों की असली आवाज़” बताकर चुनावी मैदान में उतारा। RGP अक्सर प्रवासियों के मुद्दे, भूमि विवाद और गोवा की पहचान से जुड़े विषयों को उठाती रही है।
हालांकि, इनके बयानों और आंदोलनों ने कई बार मुख्यधारा की पार्टियों को असहज स्थिति में डाल दिया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि RGP भावनाओं के सहारे राजनीति कर रही है, जबकि सत्ता पक्ष का मानना है कि यह पार्टी केवल नकारात्मक माहौल बनाकर लोकप्रियता हासिल करना चाहती है।
तिविम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री निलकंठ हलारंकर ने कहा –
“क्रांतिकारी गोवन पार्टी युवाओं को गलत दिशा में ले जा रही है। वे गोवा के विकास कार्यों में सहयोग करने के बजाय लगातार भ्रम फैलाने और विरोध की राजनीति कर रहे हैं। जनता को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि इस तरह की राजनीति से राज्य की प्रगति बाधित होती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार विकास योजनाओं को लेकर गंभीर है और मछुआरों सहित समाज के हर वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाएँ लाई जा रही हैं। ऐसे में झूठे प्रचार से लोगों को गुमराह करने की किसी को अनुमति नहीं दी जा सकती।
मंत्री हलारंकर का विभाग यानी फिशरीज (मत्स्य विभाग) हाल ही में कई विवादों में रहा है। मछुआरों को मिलने वाली सब्सिडी, डीज़ल पर छूट, और समुद्री सुरक्षा के उपायों पर लगातार चर्चाएँ हो रही हैं।
हलारंकर ने इस मौके पर यह भी स्पष्ट किया कि सरकार जल्द ही मछुआरों के लिए नई योजनाएँ लागू करेगी। उन्होंने दावा किया कि RGP जैसे दल इन कल्याणकारी योजनाओं को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं, जिससे असली लाभार्थी असमंजस में पड़ जाते हैं।
हलारंकर के इस बयान पर RGP ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि वे केवल जनता की असल समस्याएँ उठा रहे हैं और सरकार की असफलताओं को उजागर कर रहे हैं।
उनका कहना है कि यदि सरकार पारदर्शी ढंग से काम करती, तो उन्हें आवाज उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
तिविम और आसपास के क्षेत्रों में लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं।
कुछ लोग मानते हैं कि हलारंकर का बयान सही है और RGP को केवल विरोध करने के बजाय सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
वहीं दूसरी ओर, कई युवा और आम नागरिक RGP के साथ खड़े हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि यह पार्टी उनके असली मुद्दों को सामने लाती है।
गोवा की राजनीति में लंबे समय से कांग्रेस और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियाँ हावी रही हैं। लेकिन RGP जैसे क्षेत्रीय दलों के उभरने से अब समीकरण बदल रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर RGP अपनी पकड़ मजबूत करती रही, तो भविष्य में यह गोवा की राजनीति में “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकती है। यही कारण है कि मुख्यधारा की पार्टियाँ अब इस नए दल पर अधिक तीखे हमले करने लगी हैं।
आने वाले विधानसभा और पंचायत चुनावों के मद्देनज़र यह बयानबाजी और भी अहम हो जाती है। हलारंकर का बयान साफ संकेत देता है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दल RGP को हल्के में लेने के मूड में नहीं हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चेतावनी केवल एक बयान नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा भी है।
निलकंठ हलारंकर द्वारा दी गई यह चेतावनी गोवा की राजनीति में हलचल पैदा करने वाली साबित हो सकती है।
जहाँ एक ओर सत्ताधारी पक्ष RGP को “गुमराह करने वाली ताकत” बता रहा है, वहीं दूसरी ओर RGP खुद को “गोवावासियों की असली आवाज़” के रूप में पेश कर रही है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पर भरोसा करती है—सरकार की विकास योजनाओं पर या फिर RGP के आक्रामक मुद्दा-आधारित आंदोलन पर।









