शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को संस्कार और ज्ञान देना है, लेकिन जब शिक्षा देने वाले ही बच्चों के साथ अनुशासन के नाम पर हिंसक व्यवहार करने लगते हैं, तो यह समाज के लिए गहरी चिंता का विषय बन जाता है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें एक हेडमिस्ट्रेस को कक्षा 6 के एक छात्र को थप्पड़ मारने के आरोप में बुक किया गया है। खास बात यह है कि यह पूरी घटना कक्षा में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
जानकारी के अनुसार, यह मामला एक निजी स्कूल का है, जहां कक्षा 6 में पढ़ने वाले छात्र को हेडमिस्ट्रेस ने कथित रूप से अनुशासनहीनता के आरोप में थप्पड़ जड़ दिया। कक्षा में लगे सीसीटीवी कैमरे में यह घटना रिकॉर्ड हो गई। फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि हेडमिस्ट्रेस छात्र की ओर बढ़ती हैं और उसे थप्पड़ मारती हैं। घटना के बाद छात्र डरा-सहमा दिखा, जबकि अन्य बच्चे भी भयभीत हो गए।
आमतौर पर कक्षा में होने वाली घटनाओं के बारे में छात्रों की बातों पर ही भरोसा किया जाता है, लेकिन इस बार सीसीटीवी फुटेज ने सच्चाई सामने ला दी। छात्र के परिजनों ने जब बच्चे से पूछताछ की तो उसने पूरी घटना बताई। इसके बाद स्कूल प्रशासन पर दबाव बनाया गया और अंततः मामला पुलिस तक पहुंचा। पुलिस ने फुटेज की जांच करने के बाद हेडमिस्ट्रेस के खिलाफ मामला दर्ज किया।
छात्र के परिजनों का कहना है कि उनका बच्चा पढ़ाई में अच्छा है और उसके साथ की गई यह हरकत न केवल अपमानजनक है बल्कि मानसिक आघात देने वाली भी है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षक और हेडमिस्ट्रेस को बच्चों को अनुशासन में रखने का हक है, लेकिन मारपीट करने का कोई अधिकार नहीं। परिजनों ने यह भी कहा कि अगर सीसीटीवी फुटेज न होता तो शायद स्कूल प्रशासन इस घटना को दबा देता।
स्कूल प्रशासन की ओर से सफाई दी गई कि हेडमिस्ट्रेस का उद्देश्य बच्चे को पढ़ाई के प्रति गंभीर बनाना था और घटना “अनजाने में” हुई। लेकिन सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद यह सफाई कमजोर साबित हुई। शिक्षा विभाग ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश दिए हैं।
पुलिस ने छात्र के माता-पिता की शिकायत और सीसीटीवी सबूत के आधार पर हेडमिस्ट्रेस पर भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि बच्चों के साथ शारीरिक हिंसा किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं। कक्षा में मारपीट और अपमान का सामना करने से बच्चे में आत्मविश्वास की कमी, डर और पढ़ाई से दूरी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। यही कारण है कि शिक्षा नीति में भी बच्चों के साथ शारीरिक दंड पर प्रतिबंध लगाया गया है।
यह मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है। कई लोगों ने हेडमिस्ट्रेस की इस हरकत की कड़ी आलोचना की और कहा कि ऐसे शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और शिक्षक इस तरह की हिंसा करने की हिम्मत न कर सके। वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शिक्षा का अनुशासन बनाए रखना जरूरी है, लेकिन उसके लिए सकारात्मक तरीके अपनाए जाने चाहिए।
शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित माहौल मिले। इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए समय-समय पर स्कूलों की निगरानी करना और शिक्षकों को बच्चों के साथ व्यवहार संबंधी प्रशिक्षण देना बेहद जरूरी है।
कक्षा 6 के छात्र के साथ हुई यह घटना केवल एक बच्चे की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे समाज और शिक्षा प्रणाली के लिए आईना है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे स्कूल बच्चों को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल दे रहे हैं?
सीसीटीवी फुटेज की वजह से इस बार सच्चाई सामने आ गई, लेकिन सवाल यह है कि कितनी ही घटनाएं होंगी जो बिना सबूत के दबा दी जाती होंगी। अब जरूरी है कि शिक्षा व्यवस्था में ऐसे कदम उठाए जाएं जिससे बच्चों के साथ हिंसा की कोई भी गुंजाइश न बचे।









