गोवा की राजधानी पंजीम स्थित सत्र न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए सानगुएं (Sanguem) के एक स्कूल की हेडमिस्ट्रेस को अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) प्रदान की है। यह मामला शिक्षा जगत और समाज में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इसमें शिक्षक-शिक्षिकाओं की जिम्मेदारी, छात्रों के अधिकार, और अभिभावकों की चिंताओं से जुड़े कई पहलू सामने आए हैं। अदालत के इस आदेश ने न केवल आरोपी हेडमिस्ट्रेस को अस्थायी राहत दी है, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि कानून सभी पक्षों को निष्पक्ष रूप से सुनने और उचित सुरक्षा देने के लिए है।
सानगुएं के एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल की हेडमिस्ट्रेस पर कुछ अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने गंभीर आरोप लगाए थे। शिकायत के अनुसार, उन पर छात्रों के साथ अनुचित व्यवहार करने, अनुशासनात्मक मामलों में कठोर रवैया अपनाने और प्रबंधन से जुड़े कुछ विवादों में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए।
इन आरोपों के आधार पर पुलिस ने हेडमिस्ट्रेस को पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी की थी। लेकिन हेडमिस्ट्रेस को यह आशंका थी कि उन्हें बिना पर्याप्त साक्ष्यों के गिरफ्तार किया जा सकता है। इसी डर से उन्होंने पंजीम की अदालत का दरवाज़ा खटखटाया और धारा 438 दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की।
अग्रिम जमानत का प्रावधान उन परिस्थितियों के लिए बनाया गया है, जब किसी व्यक्ति को यह भय हो कि उसे पुलिस झूठे आरोपों या विवादास्पद परिस्थितियों में गिरफ्तार कर सकती है। यह प्रावधान व्यक्ति को न्यायिक सुरक्षा प्रदान करता है, ताकि वह बिना गिरफ्तारी के भय के अदालत और पुलिस के सामने अपनी दलीलें पेश कर सके।









