गोवा में बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक नई चुनौती सामने आई है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने उन उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में 4% की वृद्धि को मंजूरी दी है, जिनकी मासिक खपत 400 यूनिट या उससे अधिक है। यह फ़ैसला खासतौर पर मध्यम और उच्च खपत वाले उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा, जबकि सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं, जिनकी खपत सीमित है, पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा।
बिजली विभाग के अधिकारियों के अनुसार, गोवा में बिजली उत्पादन लागत और खरीद दरों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पड़ोसी राज्यों से बिजली खरीदने, पारेषण (Transmission) एवं वितरण (Distribution) लागत, और मेंटेनेंस पर बढ़ते खर्च को देखते हुए यह निर्णय आवश्यक माना गया।
जिन घरेलू उपभोक्ताओं की मासिक खपत 400 यूनिट से कम है, उनके लिए दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।400 यूनिट या अधिक बिजली उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को अब 4% अतिरिक्त भुगतान करना होगा।यह वृद्धि मुख्य रूप से बड़े घरों, एसी/रेफ्रिजरेटर का अधिक उपयोग करने वाले परिवारों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और उच्च खपत करने वाले उद्योगों पर बोझ डालेगी।
गोवा में बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ताओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है।
मध्यमवर्गीय उपभोक्ता इसे “अतिरिक्त बोझ” बता रहे हैं।कुछ लोगों का मानना है कि यह बढ़ोतरी सीमित वर्ग को ही प्रभावित करेगी, इसलिए आम जनता पर असर उतना गहरा नहीं होगा।वहीं, उद्योग और वाणिज्य से जुड़े संगठनों ने कहा कि बढ़ी हुई दरें उत्पादन लागत बढ़ाएँगी और इसका असर अंततः उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा।
गोवा राज्य विद्युत नियामक आयोग (GERC) ने कहा है कि टैरिफ़ संशोधन ऊर्जा क्षेत्र की वित्तीय स्थिरता के लिए आवश्यक है। आयोग का तर्क है कि अगर समय पर यह समायोजन न किया जाए तो वितरण कंपनियाँ घाटे में जाएँगी और बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
राज्य सरकार ने भी स्पष्ट किया है कि इस वृद्धि से गरीब और सामान्य उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं डाला गया है, क्योंकि 400 यूनिट से कम खपत वाले वर्ग को बढ़ोतरी से मुक्त रखा गया है।
मान लीजिए किसी उपभोक्ता का मासिक बिल 400 यूनिट पर ₹4000 आता है, तो 4% बढ़ोतरी के बाद अब उसे लगभग ₹4160 चुकाने होंगे। यानी हर 1000 रुपये के बिल पर 40 रुपये का अतिरिक्त भार।
विपक्षी दलों ने इस बढ़ोतरी को “जनविरोधी” करार देते हुए सरकार पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब महंगाई पहले से ही बढ़ी हुई है, ऐसे समय में बिजली महंगी करना उचित नहीं है।
कुछ उपभोक्ता संगठनों ने भी आयोग से अपील की है कि बढ़ोतरी को वापस लिया जाए या इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाए।
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि
यह बढ़ोतरी दीर्घकालिक रूप से आवश्यक है, क्योंकि बिजली कंपनियों को आर्थिक रूप से मज़बूत रखना जरूरी है।हालांकि, सरकार को साथ ही सौर ऊर्जा और नवीकरणीय स्रोतों पर ज़ोर देना चाहिए, ताकि भविष्य में उपभोक्ताओं पर बोझ कम किया जा सके।
सरकार ने संकेत दिया है कि भविष्य में स्मार्ट मीटरिंग और ऊर्जा दक्षता पर जोर दिया जाएगा। इससे उपभोक्ताओं को अपने बिजली उपयोग पर नियंत्रण रखने और बिल कम करने में मदद मिलेगी।
गोवा में बिजली दरों में 4% की यह बढ़ोतरी फिलहाल केवल उन्हीं उपभोक्ताओं पर लागू होगी, जिनकी मासिक खपत 400 यूनिट या उससे अधिक है। सरकार का दावा है कि इस फैसले से आम और गरीब उपभोक्ताओं पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन मध्यम वर्ग और बड़े उपभोक्ताओं की जेब पर निश्चित रूप से अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।








