गोवा में सरकार द्वारा पेश किए गए रेग्युलराइजेशन बिल ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। पारंपरिक संस्थागत निकाय “Comunidades” ने इस बिल का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि यह न केवल उनकी भूमि अधिकार प्रणाली पर सीधा आघात है, बल्कि गोवा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को भी खतरे में डालता है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर यह बिल वापस नहीं लिया गया, तो वे अदालत का दरवाज़ा खटखटाएंगे और इसे कानूनी चुनौती देंगे।
गोवा में Comunidade प्रणाली पुर्तगाली शासन काल से चली आ रही है। यह परंपरागत सामुदायिक निकाय है, जिसमें गांव के लोग सामूहिक रूप से भूमि प्रबंधन, खेती और संसाधनों पर निर्णय लेते हैं। इसे गोवा की सामूहिक पहचान और स्थानीय स्वशासन का प्रतीक माना जाता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रणाली गोवा की “लोकतांत्रिक विरासत” का हिस्सा है, जो सैकड़ों साल से स्थानीय निवासियों को जोड़ती आई है।
गोवा सरकार का तर्क है कि इस बिल का उद्देश्य “अवैध निर्माण” और “अनियमित भूमि उपयोग” को नियमित करना है, ताकि विकास कार्यों में तेजी लाई जा सके और भूमि विवादों को कम किया जा सके। लेकिन Comunidades का कहना है कि यह कदम “कब्जाधारियों” और “अवैध बस्तियों” को फायदा पहुँचाने के लिए उठाया गया है, जिससे उनकी सामूहिक जमीनें निजी हाथों में जा सकती हैं।
उनका मानना है कि सरकार के इस कदम से न केवल Comunidade भूमि अधिकार कमजोर होंगे बल्कि भविष्य में यह गोवा की पारंपरिक ग्रामीण संरचना को भी नष्ट कर देगा।
Comunidade प्रतिनिधियों ने इस बिल को “जनविरोधी” और “संविधानविरोधी” बताते हुए कहा कि यह स्थानीय लोगों की जमीन छीनने की कोशिश है। उनका कहना है कि यह कानून सीधे तौर पर उनकी स्वायत्तता और सदियों पुरानी परंपरा पर हमला है।
कई ग्रामीण नेताओं ने चेतावनी दी है कि वे इसे केवल “कागजी विरोध” तक सीमित नहीं रखेंगे बल्कि सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि अगर सरकार ने इसे लागू किया तो वे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाकर न्याय की मांग करेंगे।
Comunidades ने वकीलों से परामर्श लेकर इस बिल के खिलाफ कानूनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। उनका कहना है कि भूमि संबंधी अधिकार संविधान द्वारा सुरक्षित हैं और कोई भी सरकार उन्हें जबरन नहीं छीन सकती।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह मामला अदालत में जाता है, तो यह गोवा में भूमि प्रबंधन और विकास नीति पर बड़ा असर डाल सकता है।
विपक्षी दलों ने भी Comunidades का समर्थन करते हुए कहा है कि सरकार का यह कदम निजी बिल्डरों और बाहरी निवेशकों को लाभ पहुँचाने के लिए उठाया गया है। उनका कहना है कि जनता की जमीनों को “नियमितीकरण” के नाम पर बेचा नहीं जा सकता।
वहीं सरकार का कहना है कि यह बिल “जनहित” में है और इसका उद्देश्य लोगों की जमीन को कानूनी सुरक्षा देना है। मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि इससे राज्य में विकास योजनाओं को बढ़ावा मिलेगा और विवादों में कमी आएगी।
गोवा की Comunidades और सरकार के बीच यह टकराव अब कानूनी मोड़ ले सकता है। जहां सरकार इसे विकास का रास्ता बता रही है, वहीं स्थानीय समुदाय इसे अपनी जमीन और परंपरा पर हमला मान रहे हैं। आने वाले समय में यह संघर्ष गोवा की राजनीति और सामाजिक ढांचे पर गहरा असर डाल सकता है।
👉 यह मुद्दा सिर्फ एक बिल का नहीं है, बल्कि गोवा की पहचान, परंपरा और भूमि अधिकारों से जुड़ा हुआ है। अगर इसे अदालत तक ले जाया गया, तो यह आने वाले वर्षों तक गोवा की राजनीति और भूमि नीतियों का अहम विषय बना रह सकता है।








